Skip to main content

मानव रक्त परिसंचरण

📌मानव रक्त परिसंचरण 📌

*👉रक्त परिसंचरण तंत्र(हृदय, रक्त एवं रक्त वाहिनियां)👈*

*👉रक्त परिसंचरण तंत्र की खोज विलियम हार्वे ने कि।*
*👉पक्षियों एवं स्तनधारियों में बंद परिसंचरण (रक्त वाहिनियों में बहता है।) तंत्र होता है। 👉कीटों में खुला परिसंचरण (रक्त सिधा अंगों के सम्पर्क में रहता है।)तंत्र होता है।*

*👉इसके मुख्य रूप से 3 अंग है।*⤵

1. हृदय
2. रक्त
3. रक्त वाहिनियां

*👉1. हृदय*👈⤵

*👉मानव हृदय लाल रंग का तिकोना, खोखला एवं मांसल अंग होता है, जो पेशिय उत्तकों का बना होता है। यह एक आवरण द्वारा घिरा रहता है जिसे हृदयावरण कहते है। इसमें _पेरिकार्डियल द्रव_ भरा रहता है जो हृदय की ब्राह्य आघातों से रक्षा करता है।*

👉हृदय में मुख्य रूप से चार प्रकोष्ट होते है, जिन्हें लम्बवत् रूप से दो भागों में बांटा जा सकता है।
💥दाहिने भाग में - बायां आलिन्द एवं बायां निलय
💥बायें भाग में - दायां आलिन्द एवं दायां निलय

*🔷हृदय का कार्य शरीर के विभिनन भागों को रक्त पम्प करना है।*

*यह कार्य आलिन्द व निलय के लयबद्ध रूप से संकुचन एवं विश्रांती(सिकुड़ना व फैलना) से होता है।*

*बहुत ज़्यादा मोस्ट* *👉🔷इस क्रिया में ऑक्सीकृत रक्त फुफ्फुस शिरा से बांये आलिन्द में आता है वहां से बायें निलय से होता हुआ महाधमनी द्वारा शरीर में प्रवाहित होता है। शरीर से अशुद्ध या अनाक्सीकृत रक्त महाशिरा द्वारा दाएं आलिंद में आता है और दाएं निलय में होता हुआ फुफ्फुस धमनी द्वारा फेफड़ों में ऑक्सीकृत होने जाता है। यही क्रिया चलती रहती है।*

*👉एक व्यस्क मनुष्य का हृदय एक मिनट में 72 बार धड़कता है। जबकि एक नवजात शिशु का 160 बार।*
*👉एक धड़कन में हृदय 70 एम. एल. रक्त पंप करता है।*
*👉हृदय में आलींद व निलय के मध्य कपाट होते है। जो रूधिर को विपरित दिशा में जाने से रोकते हैं। कपाटों के बन्द होने से हृदय में लब-डब की आवाज आती है।*

*👉हृदय धड़कन का नियंत्रण पेस मेकर* करता है। जो दाएं आलिन्द में होता है इसे *हृदय का हृदय भी कहते है।*

👉हृदय धड़कन का सामान्य से तेज होना - *टेकीकार्डिया*
👉हृदय धड़कन का सामान्य से धीमा होना - *ब्रेडीकार्डिया*

*तथ्य* ⤵

👉हृदय का वजन महिला - 250 ग्राम, पुरूष - 300 ग्राम
*👉हृदय के अध्ययन को कार्डियोलॉजी कहते है।*
👉प्रथम हृदय प्रत्यारोपण - 3 दिसम्बर 1967 डा. सी बर्नार्ड(अफ्रिका)
👉भारत में प्रथम 3 अगस्त 1994 डा. वेणुगोपाल
👉हृदय में कपाटों की संख्या - 4 होती है।
👉जारविस -7 प्रथम कृत्रिम हृदय है। जिसे रॉबर्ट जार्विक ने बनाया।
👉सबसे कम धड़कन ब्लु -व्हेल के हृदय की है - 25/मिनट
👉सबसे अधिक धड़कन छछुंदर - 800/मिनट
👉एक धड़कन में हृदय 70 एम. एल. रक्त पंप करता है।
👉मानव शरीर का सबसे व्यस्त अंग हृदय है।
👉हृदय में चार प्रकोष्ठ होते हैं।

*2.👉रक्त* 👈⤵

रक्त एक प्रकार का *तरल संयोजी ऊतक* है। *रक्त का निर्माण लाल अस्थि मज्जा में* होता है तथा *🔷भ्रूणावस्था में प्लीहा में रक्त का निर्माण* होता है।
*सामान्य व्यक्ति में लगभग 5 लीटर रक्त होता है। रक्त का Ph मान 7.4(हल्का क्षारीय) होता है।*

*👉रक्त का तरल भाग प्लाज्मा कहलाता है। जो रक्त में 55 प्रतिशत होता है। तथा शेष 45 प्रतिशत कणीय(कणिकाएं) होता है।*

*प्लाज्मा*⤵

*👉प्लाज्मा में लगभग 92 प्रतिशत जल व 8 प्रतिशत कार्बनिक व अकार्बनिक पदार्थ घुलित या कोलॉइड के रूप में होते है।*
👉प्लाज्मा शरीर को रोगप्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है। उष्मा का समान वितरण करता है। हार्मोन को एक स्थान से दुसरे स्थान पर ले कर जाता है।

*👉कणिय भाग(कणिकाएं)*

*रूधिर कणिकाएं तीन प्रकार की होती है।*

*1. लाल रूधिर* कणिकाएं(RBC)

*ये कुल कणिकाओं का 99 प्रतिशत* होती है। ये *केन्द्रक विहीन कोशिकाएं है*। इनमें *हिमोग्लोबिन* पाया जाता है। *जिसके कारण रक्त का रंग लाल होता* है। *हीमोग्लोबिन O 2 तथा CO2 का शरीर में परिवहन करता है।* इसकी *कमी से रक्तहीनता(एनिमिया) रोग* हो जाता है। *लाल रक्त कणिकाएं प्लीहा में नष्ट होती है*। *अतः प्लीहा को लाल रक्त कणिकाओं का कब्रिस्तान भी कहते है।*
👉एक व्यस्क मनुष्य में लाल रक्त कणिकाओं की संख्या लगभग 50 लाख/mm 3 होती है इसका *जीवन काल 120 दिन होता है।*

*2. श्वेत रक्त कणिकाएं(WBC)*

*ये प्रतिरक्षा प्रदान करती है।* इसको *ल्यूकोसाइट भी कहते* है। इनकी संख्या 10 हजार/mm 3 होती है। ये अस्थि मज्जा में बनती है। केन्द्रक की आकृति व कणिकाओं के आधार पर *श्वेत रक्त कणिकाएं 5 प्रकार की होती है।*

*🔷रक्त में श्वेत रक्त कणिकाओं का अनियंत्रित रूप से बढ़ जाना ल्यूकेमिया कहलाता है।* इसे रक्त कैसर भी कहते है।*

*3.रक्त पट्टिकाएं(प्लेटलेट्स)*

*ये केन्द्रक विहिन कोशिकाएं है जो रूधिर का धक्का बनने में मदद करती है* इसका *जीवन काल 5-9 दिन* का होता है। ये केवल स्तनधारियों में पाई जाती है। *💥रक्त फाइब्रिन की मदद से जमता है।*

*👉लसिका तंत्र*⤵

*💥हल्के पीले रंग का द्रव जिसमें RBC तथा थ्रोम्बोसाइट अनुपस्थित होता है। केवल WBC उपस्थित होती है।*

*कार्य*

*👉रक्त की Ph को नियंत्रित करना।*
*👉रोगाणुओं को नष्ट करना।*
*👉वसा वाले ऊतकों को गहराई वाले भागों तक पहुंचाना।*
*👉लम्बी यात्रा करने पर लसिका ग्रन्थि इकठ्ठा हो जाती है, तब पावों में सुजन आ जाती है।*

*👉3. रक्त वाहिनियां👈*⤵

शरीर में रक्त का परिसंचरण वाहिनियों द्वारा होता है। जिन्हें रक्त वाहिनियां कहते है। मानव शरीर में *तीन प्रकार* की रक्त वाहिनियां होती है।
*1. धमनी 2. शिरा 3. केशिका*

*धमनी*⤵

*शुद्ध रक्त को हृदय से शरीर के अन्य अंगों तक ले जाने वाली वाहिनियां धमनी कहलाती है।* इनमें रक्त प्रवाह तेजी व उच्च दाब पर होता है। *महाधमनी सबसे बड़ी धमनी है।* किन्तु *फुफ्फुस धमनी में अशुद्ध रक्त प्रवाहित होता है।*

*शिरा*⤵

*शरीर के विभिन्न अंगों से अशुद्ध रक्त को हृदय की ओर लाने वाली वाहिनियां शिरा कहलाती है।* किन्तु *फुफ्फुस शिरा में शुद्ध रक्त होता है।*

*केशिकाएं*

👉ये पतली रूधिर वाहिनियां है इनमें रक्त बहुत धीमे बहता है।

*तथ्य*

👉हृदय जब रक्त को धमनियों में पंप करता है तो धमनियों की दिवारों पर जो दाब पड़ता है उसे *रक्त दाब* कहते है।
👉रक्त दाब मापने वाले यंत्र को स्फिग्नोमिटर कहते है।
👉प्रत्येक रक्त कण को शरीर का चक्र पुरा करने में लगभग 60 सैकण्ड लगते हैं।

*👉रक्त का अध्ययन हिमोटॉलॉजी कहलाता है।*
*👉रक्त निर्माण की प्रक्रिया हीमोपोइसिस कहलाती है।*
*👉रक्त का लाल रंग फेरस आयन के कारण होता है जो हिमाग्लोबिन में पाया जाता है।*
👉ऊंचाई पर जाने पर RBC की मात्रा बढ़ जाती है।
*👉लाल रक्त कणीका का मुख्य कार्य आक्सीजन का परिवहन करना है।*
*👉मानव शरीर में सामान्य रक्त चाप (Blood Fresher) 120/80 एम.एम. होता है।*
*👉लाल रक्त कणीकाओं का जीवनकाल 120 दिन का होता है।*

💉💉💉💉💉💉💉💉💉💉💉💉💉💉💉💉💉💉

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

पवन द्वारा निर्मित स्थलाकृतियां

🌻🌻पवन द्वारा निर्मित स्थलाकृतियां 🌻🌻 यारडांग: • कड़ी और मुलायम चट्टानों की परतें जब पवन की प्रवाह की दिशा में होती है तो कड़ी चट्टानों की अपेक्षा मुलायम चट्टानों का कटाव अ...

भारत की खनिज पेटियों/बेल्टो की सूची

🏜भारत की खनिज पेटियों/बेल्टो की सूची🏜 खनिज ऐसा भौतिक पदार्थ हैं जो खान से खोद कर निकाले जाते हैं। जैसे- लोहा, अभ्रक, कोयला, बॉक्साइट, नमक, जस्ता, चूना पत्थर इत्यादि। भारत विश...

भारत रत्न से सम्मानित

■ भारत रत्न से सम्मानित व्यक्ति शुरुआत से अबतक - 1. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1954) 2. डॉ. चंद्रशेखर वेंकट रमन (1954) 3. चक्त्रवर्ती राजगोपालाचारी (1954) 4. मोक्षगुन्दम विवेस्वरया (1955) 5. जवाहरलाल न...